स्थान: ई-विलेज, अलुवामई, कुंडा, प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश (पिन 230202)
तिथि: 24 अप्रैल, 2025
प्राचीन विज्ञान और आधुनिक सोच का संगम: ई-विलेज में विश्व ने अपनाया आयुर्वेद
भारत की पवित्र धरती पर स्थित ई-विलेज अलुवामई एक नई वैश्विक क्रांति का केंद्र बन चुका है। यहाँ की मिट्टी में आयुर्वेद की शक्ति है और लोगों में सेवा का भाव। हाल ही में शुरू हुई पंचकर्म सेवाओं ने न केवल भारत की प्राचीन चिकित्सा परंपरा को सजीव किया है, बल्कि दुनिया भर के मेहमानों को आध्यात्मिक और शारीरिक स्वास्थ्य का अनुभव भी कराया है।
15 से अधिक देशों के प्रतिनिधि, जैसे मलेशिया, नेपाल, जर्मनी, अमेरिका, नाइजीरिया, जापान, फ्रांस, श्रीलंका और दक्षिण अफ्रीका से आए प्रतिभागियों ने इस पवित्र आयुर्वेदिक यात्रा में भाग लिया।
पंचकर्म: शरीर, मन और आत्मा की पवित्र शुद्धि यात्रा
डॉ. संपदा, आयुर्वेद एमडी और पंचकर्म विशेषज्ञ के नेतृत्व में ई-विलेज में शुरू किया गया यह केंद्र न केवल उपचार है, बल्कि एक दिव्य अनुभव है। पंचकर्म की पाँच विधियाँ — वमन, विरेचन, बस्ती, नस्य और रक्तमोक्षण — को हर व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार अनुकूलित किया गया।
प्राकृतिक परिवेश, औषधीय पौधों से घिरे मिट्टी के कुटीर, और आधुनिक सुख-सुविधाओं के साथ यह पंचकर्म केंद्र एक अद्भुत अनुभव प्रदान करता है।
विपश्यना और मनोचिकित्सा के संगम में मिला आत्म-शांति का अनुभव
डॉ. श्रुति कुलकर्णी, अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त माइंड हीलर, ने विपश्यना ध्यान और भावनात्मक चिकित्सा के माध्यम से प्रतिभागियों को आंतरिक शांति और संतुलन प्रदान किया।
मलेशिया की रित्ज़ी ने कहा, “मैं थकावट और मानसिक तनाव के साथ आई थी। यहाँ पंचकर्म ने मेरा शरीर, और विपश्यना ने मेरा मन नया बना दिया।”
नेपाल के मिस्टर अनीता बोले, “यह केवल उपचार नहीं था, यह एक आध्यात्मिक यात्रा थी।”
स्वर्णा वैली: ध्यान और आरोग्य का नया धाम
ई-विलेज के संस्थापक एडवोकेट पीयूष पंडित ने उद्घाटन किया “स्वर्णा वैली – आयुर्वेद एवं विपश्यना ध्यान केंद्र” का, जो अब विश्व के लिए आध्यात्मिक शांति और गहन आरोग्यता का केंद्र बन रहा है।
यहाँ उपलब्ध सेवाएँ हैं:
गहन पंचकर्म डिटॉक्स रिट्रीट
मौन विपश्यना ध्यान सत्र
आयुर्वेदिक पाक कला कार्यशालाएँ
औषधीय पौधों के ट्रेल्स पर वॉक
गौ-चिकित्सा, सात्विक आहार, और मंत्र ध्यान
एडवोकेट पीयूष पंडित ने कहा, “ई-विलेज एक प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि एक आंदोलन है। स्वर्णा वैली विश्व को हमारी आत्मा की शांति का उपहार है।”
गाँव की बेटियाँ बनीं आयुर्वेदिक हीलर: महिला उद्यमी परियोजना की प्रमुख वर्जीनिया रिवेरा
महिला उद्यमी पंचकर्म सहायक प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को आयुर्वेदिक चिकित्सा, जड़ी-बूटी विज्ञान और सेवा कौशल में प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस अभियान की प्रमुख हैं वर्जीनिया रिवेरा, जिनका मानना है कि “परिवर्तन की जड़ें महिलाएँ होती हैं।”
डॉ. संपदा के निर्देशन में महिलाएँ अब केवल घरेलू कामों तक सीमित नहीं हैं, वे अब भारत की प्राचीन चिकित्सा परंपरा की वाहक बन चुकी हैं।
सुनीता देवी ने मुस्कराते हुए कहा, “पहले हम खेतों में काम करती थीं, अब हम लोगों को स्वस्थ कर रही हैं। हम आयुर्वेद की बेटियाँ हैं।”
संस्कृति का उत्सव: अंतरराष्ट्रीय संवाद और ग्रामीण मेला
पंचकर्म और ध्यान सत्रों के पश्चात एक अंतरराष्ट्रीय आरोग्य संवाद आयोजित किया गया जिसमें विदेशी मेहमानों ने भारतीय विशेषज्ञों से चर्चा की। विषयों में मार्म चिकित्सा, मानसिक स्वास्थ्य, सात्विक भोजन, आदि शामिल थे।
रात्रि में एक लोक-सांस्कृतिक कार्यक्रम और हाट मेला आयोजित हुआ, जहाँ मेहमानों ने भारतीय पारंपरिक परिधान में नृत्य किया, मेहँदी लगवाई, कुम्हार कला सीखी और हस्तशिल्प की प्रदर्शनी में भाग लिया।
भविष्य की दिशा: वैश्विक आयुर्वेदिक नगर की ओर
ई-विलेज की टीम ने आगे की योजनाओं की घोषणा की:
अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेदिक प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम (ऑनलाइन व ऑनसाइट)
वार्षिक पंचकर्म रिट्रीट्स
दुर्लभ जड़ी-बूटियों पर अनुसंधान केंद्र
वैश्विक विश्वविद्यालयों से सहयोग
स्वर्णा वैली को एक वैश्विक स्वास्थ्य नगर के रूप में विकसित किया जाएगा, जहाँ होंगे:
आयुर्वेदिक इको-हॉम्स
जैविक कृषि क्षेत्र
ध्यान वन और फॉरेस्ट स्कूल
प्राकृतिक चिकित्सालय और रेजीडेंसी प्रोग्राम
निष्कर्ष: ई-विलेज — जहाँ दुनिया करती है आत्म-चिकित्सा
ई-विलेज अलुवामई अब सिर्फ एक स्मार्ट गाँव नहीं है, यह दुनिया का आरोग्य तीर्थ बन चुका है। आयुर्वेद, ध्यान, ग्रामीण संस्कृति, और महिला सशक्तिकरण के संगम से यह गाँव एक अंतरराष्ट्रीय प्रेरणा बन गया है।
जैसा कि एक विदेशी प्रतिभागी ने विदा होते समय कहा,
“ई-विलेज केवल आपके स्वास्थ्य को नहीं बदलता, यह आपके भाग्य को बदल देता है।